तेरी खुश्बू
तेरी खुशबू ही कुछ इसी है
जो मुझको तेरी ओर खींचती है
जाना तो चाहता था कही और
पर तेरी ओर खिंचा चला आता हूँ l
बिन पीए ही बहकने लगता हूँ
मैं तो तेरी इन आँखों की मस्तियों से
ना चाहते हुए भी तेरी यादों के
अन्धे कुँए में गिर पड़ता हूँ l
कब सवेरा हुआ कब रेन बसेरा हूँ l
मुझको तो खबर ही न हो पाती है ल
Sahil writer
Renu
19-Apr-2022 11:37 AM
Superb
Reply